Wednesday, 9 November 2016

बाजार में पैसे लगाने का आज से अच्छा मौका नहीं मिलेगा

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भारत एक ऐसा देश है जहां पर 12.1 फीसदी जीडीपी करेंसी सर्क्यूलेशन में है और ये काफी सारे अफ्रीकी देशों से भी आगे है। इसमें तकरीबन 87 फीसदी कैश 500 और 1000 रुपये के मूल्यवर्ग में हैं। दुख की बात ये है कि भारतीय निवेशक ने जितना पैसा इक्विटी मार्केट में लगाया है उससे ज्यादा पैसा वो अपने कैश इनसर्क्युलेशन में लगाकर बैठा है। ब्लैक मनी को काबू में करना जरुरी था और इसका एक तरीका उंचे मूल्यवर्ग के नोट के रद्द होने का है। इससे छोटी अवधि में जरुर एडवर्स इम्पैक्ट आएगा, पर लंबी अवधि में इसमें बहुत ज्यादा फायदा भारतीय इकोनॉमी को मिलेगा।

इस वक्त के अमेरिकी चुनाव नतीजों के अनिश्चितता पर बाजार का रिएक्शन देखने को मिल रहा है। अमेरिकन इलेक्शन काउंटिंग सिस्टम भारत से काफी पीछे है और भारत इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग में बहुत आगे है। उम्मीद है कि बाजार को एल्गोरेन और जॉर्ज बुश जैसा समय ना देखने को मिले। क्लिंटन और ट्रंप के जो भी नतीजे हो वो सही तरीके से और जल्दी निकल आएं। भारतीय बाजार के नजरिए से देखें तो दोनों चुनावी पक्षों के इकोनॉमी पॉलिसी में फर्क पड़ सकता है। 

हिलेरी क्लिंटन ने फार्मा सेक्टर के लिए कॉस्ट कम करने की बात की है। वहीं डोनाल्ड ट्रंप ने फिस्कल स्पेंडिंग करके ग्रोथ लाने की बात की है। अब नया प्रेसिडेंट किस तरह से नई पॉलिसी अख्तियार करता है, इस पर बाजार का आगे रुख निर्भर रहेगा।

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