डिजिटल इंडिया के जमाने में हम डिजिटल या ऑनलाइन वॉलेट का इस्तेमाल करने लगे हैं। ऐसे कई ऐप्स आ गए हैं, जो ऑनलाइन ट्रांजैक्शन बेस्ड सुविधाएं देते हैं। अब कहीं भी पेमेंट करना या दोस्त को पैसे चुकाना, किसी से पैसे लेने जैसी सुविधाओं के लिए हम ऑनलाइन पेमेंट ऐप्स का इस्तेमाल बहुत तेजी से करने लगे हैं।
लेकिन क्या आपको पता है कि इन ट्रांजैक्शन्स के दौरान हम पर टैक्स लगता है या नहीं, और अगर लगता है तो कितना लगता है?
मान लीजिए, आपके ई-वॉलेट में आपके किसी दोस्त ने पैसे ट्रांसफर किए तो क्या आपको पता है कि उस अमाउंट पर कितना टैक्स लगेगा? या लगेगा भी या नहीं?
फोन में ई-वॉलेट्स या यूपीआई के जरिए पैसे भेजना और रिसीव करना बहुत आसान है। मान लीजिए कि आपके एक दोस्त ने आपको कुछ उधारी चुकाई, तो इसपर टैक्स लगेगा या नहीं, ये इस बात पर निर्भर करता है कि ये अमाउंट कितना है।
ऐसे ट्रांजैक्शन या रिसीट्स गिफ्ट के तौर पर लिए जाते हैं। ऐसे गिफ्ट्स की कीमत अगर 50,000 तक की है, तो इसपर कोई टैक्स नहीं लगता। लेकिन अगर इससे ज्यादा बड़े अमाउंट का ट्रांजैक्शन किया जाता है तो वो पूरा अमाउंट टैक्स के दायरे में आता है।
अगर आपके ई-वॉलेट या सेविंग्स अकाउंट में आई ये रसीदें आपके दिए गए कर्ज को चुकाने के लिए की गई हैं, तो इनपर कोई टैक्स नहीं लगेगा। हालांकि, अगर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से अगर इसपर कोई सवाल खड़ा किया जाता है, तो आप अपने कर्जदार से एक लिखित हलफनामा लेकर साबित कर सकते हैं कि ये ट्रांजैक्शन आपके कर्ज का सेटलमेंट था।
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