Wednesday, 21 December 2016

नोटबंदी की मार, मजदूरों की कमाई चेक में कैद

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नोटबंदी ने उन लोगों को ज्यादा और लंबी परेशानी में डाल रखा है जिनके पास पहले से डिजिटल साधन नहीं हैं। अहमदाबाद के करीब 12 से 14 हजार मजदूरों ने मजबूर होकर अकाउंट खुलवाए लेकिन 20 दिन बाद भी खाते चालू नहीं हुए हैं। नतीजा पसीने की कमाई हाथ नहीं आ रही है, जबकि बैंक वर्क लोड का रोना रो रहे हैं।

अहमदाबाद में कपड़े के सबसे बड़े और पुराने न्यू क्लोथ मार्केट के मजदूर दोहरी मार से बेजार हैं। एक तो काम कम हो गया है ऊपर से कमाए हुए पैसे हाथ में नहीं आ रहे हैं। इन मजदूरों ने 20 दिन पहले अकाउंट खुलवाए लेकिन 20 दिन बाद भी चेक लेकर बैंक जाते हैं तो पता चलता है कि खाता चालू नहीं हुआ है।

दरअसल अहमदाबाद में कपड़ा मार्केट का संचालन मस्कती महाजन नाम की संस्था कर रही है इन्होंने नवम्बर के अंत में ही पीएनबी, एचडीएफसी, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, 5 सहकारी बैंक्स के साथ मिलकर करीब 12 से 14 हजार अकाउंट खुलवाए थे। जिसमें से अभी तक 10 से 12 हजार अकाउंट शुरू नहीं हो पाए हैं। बैंक कहते हैं कि नोटबंदी के चलते इतना काम है कि वो नए अकाउंट पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं।

इन मजदूरों ने पहली बार अपना एकाउन्ट खुलवाया है और पहली बार अपने नाम का चेक देखा है यह न तो काला धन है न सफ़ेद धन यह उनके पसीने की कमाई है। एक तरफ काम कम हो गया है ऊपर से इनको अपने हक़ के पैसे नहीं मिल रहे है, यह कब तक ऐसे चला सकेंगे यह सबसे बड़ा सवाल है।

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