प्रधानमंत्री ने डिजिटल पेमेंट के लिए जिस भीम ऐप को लॉन्च किया है, उसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। भीम का नाम खुद प्रधानमंत्री तय किया है। प्रधानमंत्री जिस ऐप की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं, उसका आइडिया मुश्किल से तीन हफ्ते पहले आया था। लेकिन आइडिया इतना पसंद आया कि तुरंत एनपीसीआई और जस पे के लोगों के अलावा कुछ वॉलेंटियर्स को लेकर 35 लोगों की टीम बनाई गई। बैंग्लोर के एक छोटे से दफ्तर में 24 घंटे काम करके ऐप तैयार किया गया। लेकिन सबसे दिलचस्प है इसके नामकरण की कहानी।
सूत्रों की मानें तो इस एप्प को बनाने वाली कंपनी ने प्रधानमंत्री के सामने 30 से 35 नाम सुझाए थे। लेकिन इसमें भीम नाम शामिल नहीं था। भीम नाम प्रधानमंत्री ने खुद अपनी तरफ से पेश किया। तब ना तो प्रधानमंत्री की टीम ने और ना ही ऐप बनाने वाली कंपनी ने सोचा था कि भीम नाम के पीछे भीम राव अंबेडकर भी हो सकते हैं क्योंकि भीम का पूरा नाम है भारत इंटरफेस फॉर मनी।
प्रधानमंत्री ने डिजिटल पेमेंट के लिए जिस भीम ऐप को लॉन्च किया है, उसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। भीम का नाम खुद प्रधानमंत्री तय किया है। प्रधानमंत्री जिस ऐप की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं, उसका आइडिया मुश्किल से तीन हफ्ते पहले आया था। लेकिन आइडिया इतना पसंद आया कि तुरंत एनपीसीआई और जस पे के लोगों के अलावा कुछ वॉलेंटियर्स को लेकर 35 लोगों की टीम बनाई गई। बैंग्लोर के एक छोटे से दफ्तर में 24 घंटे काम करके ऐप तैयार किया गया। लेकिन सबसे दिलचस्प है इसके नामकरण की कहानी।
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